रक्षा बंधन किसी धर्म से जुड़ा नहीं है ,ये भाई और बहन के बिच का त्योहार है। इस दिन बहने अपने भाइयो को राखी बांधती है ,और भाई ये वादा करते है की ज़िन्दगी भर उसकी रक्षा करेंगे और तौफा देते है
इस दिन के लिए बहने बहोत दिनों से इंतज़ार करती है और बड़े प्रशांता के साथ राखी लाती ,वो चाहती है की मार्किट की सबसे अच्छी राखी अपने भाइयो के लिए लाये,इस दिन मार्किट में बहोत बहुत भीड़ होती है ,और जिधर देखो उधर राखी ही दिखती है। इस बार रक्षा बंधन का त्योहार 3 अगस्त को मनाया जाएगा यही श्रावण के पूर्णिमा के दिन ,
इस दिन के लिए बहने बहोत दिनों से इंतज़ार करती है और बड़े प्रशांता के साथ राखी लाती ,वो चाहती है की मार्किट की सबसे अच्छी राखी अपने भाइयो के लिए लाये,इस दिन मार्किट में बहोत बहुत भीड़ होती है ,और जिधर देखो उधर राखी ही दिखती है। इस बार रक्षा बंधन का त्योहार 3 अगस्त को मनाया जाएगा यही श्रावण के पूर्णिमा के दिन ,
क्या होता है रक्षा बंधन के दिन
रक्षा बंधन के दिन लोग सवेरे -सवेरे उठकर स्नान करते है और नये-नये कपड़े पहनकर एक जगह आकर बैठ जाते है,बहने अपने भियो का इंतज़ार करती है ,जब वो आ जाते है तो आरती की थाल सजाती है और भाइयो को राखी बांधती है। और तिलक लगाती है ,भाई उन्हें तौफे देते है ,इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाते है ,
जो बहने अपने भाई भाइयो की राखी नहीं बांध पति है वो उन्हें भेज देती है ताकि वो उन्हें उनकी बहन की याद दिलाये ,इस दिन को स्कूल में भी अहम माना जाता है ,क्युकी इस दिन स्कूल से फौजी भाइयो को भी राखी भेजी जाती है ,ताकि उन्हें अपने घर की याद न अये और वो मायुश न हो ,
रक्षा बंधन कब मनाया जाता है ,
रक्षा बंधन श्रावण महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है ,इसी लिए इसे सर्वाणि भी कहते है।
रक्षा बंधन का इतिहास (history of rakasha bandhan)
1.बहुत पुराणी बात है जब देवताओ और असुरो में युद्ध चल रहा था ,इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकल रहा था न देवता पीछे हट रहे थे न ही असुर ये युद्ध करीब 11 वर्ष तक चला जिसके बात असुरो ने देवताओ को पराजित कर दिया ,और देवराज इंद्र के सिंघासन सहित 3नो लोको पर असुरो का राज़ हो गया ,
देवराज इंद्र मायुश होके देवताओ की गुरु बृहस्पती से कहा की अब क्या करे तो बृहस्पती ने कहा की श्रावण महीने के पूर्णिमा के दिन रक्षा विधान का संस्कार प्रारम्भ करो और इस रक्षा प्रारम्भ के दौरान मंत्रो के उच्चारण से एक रक्षा पोटली तैयार की और उस रक्षा पोटली को मंत्र उच्चारण से मजबूत की ,पूजा से दौरान रक्षा पोटली को इंद्र की पत्नी जिन्हे इंद्राणी भी कहा जाता है ,उनको वो रक्षा पोटली दी ,इंद्राणी ने देवराज के दाहिने हाथ पे बांध दी और देवराज इंद्र ने फिर से असुरो पे आक्रमण कर किया और रक्षा पोटली की सकती से असुरो को पराजित किया और 3नो लोगो को फिर से विजय प्रताप कर्ली
2. द्रौपती ने बंधी थी श्री कृष्णा को राखी :
महाभारत काल की कथा बहुत प्रचलित है जो की भगवान् श्री कृष्णा और द्रौपती की है ,सिसुपाल का वध करने के लिए भगवान श्री कृष्णा ने सुदर्शन चक्र का उपयोग किया था जिसके दौरान उनकी ऊँगली थोड़ी कट गयी थी और खून निकल आया ,द्रौपती ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फारा और श्री कृष्ण के हाथ में बांध दी ,
कहा जाता है की वो दिन भी श्रावण की पूर्णिमा का था, इसके बाद भगवान् श्री कृष्ण ने द्रौपती को वचन दिया
की वो इस साड़ी के एक टुकड़े का मोल चुकाएंगे ,द्रौपती के चिर हरण के दौरान भगवान् श्री कृष्णा ने अपना वचन निभाया
महाभारत काल की कथा बहुत प्रचलित है जो की भगवान् श्री कृष्णा और द्रौपती की है ,सिसुपाल का वध करने के लिए भगवान श्री कृष्णा ने सुदर्शन चक्र का उपयोग किया था जिसके दौरान उनकी ऊँगली थोड़ी कट गयी थी और खून निकल आया ,द्रौपती ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फारा और श्री कृष्ण के हाथ में बांध दी ,
कहा जाता है की वो दिन भी श्रावण की पूर्णिमा का था, इसके बाद भगवान् श्री कृष्ण ने द्रौपती को वचन दिया
की वो इस साड़ी के एक टुकड़े का मोल चुकाएंगे ,द्रौपती के चिर हरण के दौरान भगवान् श्री कृष्णा ने अपना वचन निभाया
3.सिकंदर और पुरु :
एक ऐतिहासिक घटना के मुताबिक जब सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया था तब सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को एक राखी भेजी और उनसे वचन लिया की वो सिकंदर पे जान लेवा हमला नहीं करेंगे ,परम्परा अनुसार राजा पोरस ने युद्ध के दौरान अपनी कलाई के बंधी राखी देखि और सिकंदर पे हमला नहीं किया था ,
4. चित्तौडग़ढ़ की रानी और राजा हुमायूँ :
चित्तौडग़ढ़ की रानी कर्णावती एक युद्ध में जब देख की उनका बल कम हो रहा है तो उन्होंने राजा हुमायूँ को राखी भेजी सहेंशा हुमायुँ जो की एक अलग धरम के होने के बावजूद रानी कर्णावती की मदद की और युद्ध में विजय होक उनके राज्य को बचा लिया ,
यह घटना हिंदू मुस्लिम एकता कोभी दर्शाता है
जैन धरम के लोग रक्षा बंधन क्यों मानते है ?
दरसल बात बहोत पुराणी है ,आज के ही दिन जैन धर्म के एक मुनि ने 700 मुनियो की प्राण बचायी थी इसी लिए जैन धर्म के लोग आज के दिन अपने कलाई पे सूत की डोर बांधते है ,
राखी पे आधुनिक टेक्निक का प्रभाव
हमारे देश के बहुत सारे भारतीय दूसरे देश जैसे अमेरिका,औटरलिया जैसे देश में रहते है और वो जल्दी घर राखी जैसे तयोहार भी वापस नहीं आ पाते है, आजकल बहुत सरे इ-कॉमर्स साइट्स है जिससे बहने राखी भाइयो तक पहुंचा तो देती है लेकिन वो आनंद नहीं आता जो खुद से राखी बांधने में आता है,
एक ऐतिहासिक घटना के मुताबिक जब सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया था तब सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को एक राखी भेजी और उनसे वचन लिया की वो सिकंदर पे जान लेवा हमला नहीं करेंगे ,परम्परा अनुसार राजा पोरस ने युद्ध के दौरान अपनी कलाई के बंधी राखी देखि और सिकंदर पे हमला नहीं किया था ,
4. चित्तौडग़ढ़ की रानी और राजा हुमायूँ :
चित्तौडग़ढ़ की रानी कर्णावती एक युद्ध में जब देख की उनका बल कम हो रहा है तो उन्होंने राजा हुमायूँ को राखी भेजी सहेंशा हुमायुँ जो की एक अलग धरम के होने के बावजूद रानी कर्णावती की मदद की और युद्ध में विजय होक उनके राज्य को बचा लिया ,
यह घटना हिंदू मुस्लिम एकता कोभी दर्शाता है
जैन धरम के लोग रक्षा बंधन क्यों मानते है ?
दरसल बात बहोत पुराणी है ,आज के ही दिन जैन धर्म के एक मुनि ने 700 मुनियो की प्राण बचायी थी इसी लिए जैन धर्म के लोग आज के दिन अपने कलाई पे सूत की डोर बांधते है ,
राखी पे आधुनिक टेक्निक का प्रभाव
हमारे देश के बहुत सारे भारतीय दूसरे देश जैसे अमेरिका,औटरलिया जैसे देश में रहते है और वो जल्दी घर राखी जैसे तयोहार भी वापस नहीं आ पाते है, आजकल बहुत सरे इ-कॉमर्स साइट्स है जिससे बहने राखी भाइयो तक पहुंचा तो देती है लेकिन वो आनंद नहीं आता जो खुद से राखी बांधने में आता है,
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