परी की आत्मा
किसी जंगल में तीन मित्र रहा करते थे। हाथी उट और सियार तीनो हमेसा एक साथ रहा करते थे। एक दिन वो खेलते-खेलते दूसरे जंगल में चले जाते है ,तभी हाथी कहता है। दोस्तों ये हमारा जंगल नहीं है। उट बोलता है हमें तो बस खेलने से मतलब है। फिर चाहे जंगल हमारा हो या नहीं क्या फर्क परता है।
हाथी बोलता है मैंने सुना है ये एक भूतिया जंगल है ,सियार बोलता है उट भाई इसे डरने दो हम खेलते है। हाथी की बात को नज़र अंदाज कर उट और सियार खेल में मगन हो जाते है। साम होने के बाद तीनो अपने जंगल का रास्ता ढूंढने लगते है।
लेकिन अँधेरे की वजह से उन्हें रास्ता नहीं मिलता सियार बोलता है।
सियार: यहाँ तो सारे रस्ते एक जैसे लगते है। अब हम क्या करे ?
उट: आज रात हम यही रुक जाते सुबह वापस लौट जाएंगे ,
हाथी: नहीं ! बिलकुल भी नहीं ! हम पूरी रात इस भूतिया जंगल में नहीं रह सकते
उट: भूत जैसा कुछ नहीं होता है।
अचानक एक आवाज़ आती है ,किसने कहाँ भूत नहीं होते !आवाज़ सुनकर तीनो हाके-बाके रह जाते है और डरते हुए पीछे मुरकरदेखते है। लेकिन वहां कोई नज़र नहीं आता
सियार: यहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रहा है ,फिर से आवाज़ किसकी थी
फिर आवाज़ आती है ,
पेड़ को बोलता देख तीनो डर जाते है। और भागने लगते है लेकिन ! बोलता पेड़ उनका पीछा नहीं छोरता।
हाथी : ये भूतिया पेड़ तो हमारे पीछे ही पर गया है
सियार : मुझे तो समझ नहीं आ रहा है पेड़ अपनी जगह से हिला कैसे
तभी आवाज़ आती है मैं पेड़ नहीं उसके अंदर आत्मा हूँ जो एक पेड़ से दूसरे पेड़ में जा सकती है उसके बाद वो आत्मा उन्हें परेशान करने लगती है। बचने के लिए वो तीनो इधर-उधर भागते है लेकिन आत्मा उनका पीछा नहीं चोरती है। बहुत देर तक ऐसे ही भागते रहने के बाद जब वो तीनो तक जाते है।
तो आराम करने के लिए एक पेड़ के निचे बैठ जाते है तभी वो पेड़ उनके निचे सुखी पत्तियों और सुखी टहनियों की बारिश करने लगता है और पेड़ हसने लगता है और कहता है बहुत दिनों से बेकार समय बीत रहा था आज तो मजा ही आज्ञा। ये सुकर उट बोलता है।
उट: अगर तम इतनी ही ताकत वर तो पेड़ में छिपकर बात क्यों कर रही हो बाहर क्यों नहीं निकलती
हाथी: तुम ये क्या बोल रहे हो अगर वो सही में बाहर आ गयी तो हमारी खैर नहीं
उट: अरे कुछ नहीं होगा अगर इसे जान लेनी ही होती तो हमें इस तरह परेशान नहीं करती ! बाहर निकलकर सीधा मर देती इसी लिए हमें इसी के जाल में फसाकर हराना होंगे
हाथी : वो कैसे ?
उट धीरे से साडी योजना अपने दोस्तों तो बताता है ,जिसके बाद तीनो अलग-अलग दिशाओ में चले जाते है। एक दिशा में हाथी हर पेड़ पर टक्कर मरता हुआ चलता है। और दूसरी दिशा में सियार पेड़ की छाल उखाड़ता हुआ चलता है।
तीसरी दिशा में उट हर पेड़ के पत्ते गिराता हुआ चलता है ,पूरी जंगल का चक्कर लगाकर वो तीनो अपनी जगह पे वापस आ जाते है हाथी बोलता है।
हाथी: मुझे अपने रास्ते में वो आत्मा कही नहीं मिली
सियार: मुझे भी !
उट बोलता है इससे ये सिद्ध हो गया की वो आत्मा किसी को भी मारना नहीं चाहती नहीं तो वो हमें अकेला देखकर वो ज़रूर हमला करती हमें उसकी मन की बात को जानना ही होगा। दोस्तों जंगल में आग लगा देते है इससे हमें आत्मा से छुटकारा भी मिल जायेगा और घर जाने का रास्ता भी।
तभी पेड़ बोलता है नहीं ! नहीं !
उट बोलता है एक सरथ पर तुम्हे बताना होगा तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रही हो !
पेड़ बोलती है मैं एक पारी हु बहुत समय पहले मैं सभी जानवरो के साथ इस जंगल में रहा करती थी। एक दिन जंगल में भयानक आग लग गयी और उस आग की चपेट में आकर मेरी और कुछ जानवरो की मृत्यु हो गई ,
क्युकी मुझे परौर हरयाली बहुत पसंद है।
इस लिए मैं इन पेड़ो के अंदर रहना पसंद करती हूँ
हाथी: तो क्या तुम हमेसा यही रहोगी ?
पेड़: नहीं मुझे मुख्ती मिल सकती है लेकिन वो मुझे तभी मिलेगी जब मैं वहाँ पहुंच जाऊ जहा मेरा पहले घर था लेकिन मुझे वो जगह नहीं मिल रही
सियार: घर के अस-पास की कोई खासियत बता सकती हो
पेड़: हाँ ! मेरे घर के पास एक छोटा सा तालाब था। वैसा तालाब पुरे जंगल में कही नहीं था मैंने उसे ढूंढ़ने की बहुत कोसिस की लेकिन वो मुझे कही नहीं मिला।
अगले दिन तीनो दोस्त तालाब ढूंढने निकल जाते है पारी की आत्मा भी पेड़ से बाहर निकल कर उनके साथ चलने हैं। पुरे जंगल में ढूढ़ने के बाद उन्हें एक खाली गढ्ढा नज़र आता है
उट: हमने सारा जंगल देख लिया लेकिन ऐसा गढ्ढा सिर्फ यहां मिला मुझे लगता है। ये वही तालाब है , जो सुख जाने की वजह से परी को कभी नहीं मिला
तालाब के पास पहुंचे के बाद परी की आत्मा इधर-उधर देखने लगी और घर पहुंच खुश होती है वो तालाब के पास एक पेड़ पे बैठ जाती है और तीनो दोस्तों धन्यवाद बोल कर गायब हो जाती है
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