भूतिया लैपटॉप
विवेक के बेटो का नाम था चिंटू और पिंटू एक दिन पिंटू स्कूल से घर आया और अपनी माँ से बोला मुझे लैपटॉप दिला दो मेरे सभी मित्रो के पास है ,और मेरे सभी मित्र कंप्यूटर के विषय में मुझे ज़्यादा नंबर लेट है , सुनकर पिंटू बोलता है नहीं माँ
ये कुछ पढ़यी नहीं करेगा ये तो यूट्यूब चलाएगा इतने विवेक वहाँ आ जाता है विवेक की पत्नी विवेक को साडी बात बताती है ये सुकर विवेक बोलता है हमारी अभी ये हालत नहीं की मैं तुम्हे कंप्यूटर ला के दे सकू लेकिन मई कोसिस करूँगा ,
इतना कह कर वहाँ से चला जाता है और वापिस आता है और अपनी पत्नी से कहता मेरे बच्चे ने मुझसे इतनी छोटी सी चीज मांगी और मई वो भी नहीं दे पाया ,ये सुनकर उसकी पत्नी बोलती है आप चिंता क्यों करते है मैं पिंटू से बात करूंगी वो मान जाएगा हमारे बच्चे बहुत समझ दार है ,
ये सारि बात चुड़ैल सुन लेती है। और सोचती है इस गांव में किसी के पास कंप्यूटर नहीं है अगर मैं एक कंप्यूटर इसे देदू तो गांव के लोग कंप्यूटर देखने इसके घर ज़रूर आएंगे , अगले दिन विवेक काम पर जाता रहता है की अच्चानक उसे एक लैपटॉप रस्ते में गिरा हुआ मिलता है ,
विवेक उस लैपटॉप को उठाके देखता है ,वो बिलकुल नयी रहती है , विवेक सोचता है आज ही मेरे बचो ने मुझसे कंप्यूटर माँगा था और मुझे ये रस्ते में ही मिल गया ,किसी ने सच कहा है ऊपर वाला जब भी देता-देता छप्पर फार के।
इतना सोचकर विवेक लैपटॉप लेके घर आता है और पिंटू को लैपटॉप दे देता है ,लैपटॉप देखकर पिंटू बोलता है मैंने तो कंप्यूटर कहा था ,अपने लैपटॉप लिया थैंक यू पापा। और वो वहां से चला जाता है ,विवेक की पत्नी पूछती है ,
आप ने तो कहाँ था पैसे नहीं है फिर ये लैपटॉप कहाँ से लाये विवेक बोला मेरा एक मित्र है ,ये लैपटॉप उसी का है पैसे मैं उन्हें किस्तों में दे दूंगा
रात को पिंटू लैपटॉप लेके चलाने बैठ ता है जैसे ही वो लैपटॉप ओपन करता है
चुड़ैल उसे अंदर खींच लेती है ,सुबह जब चिंटू उठता है तो पिंटू को ढूंढने लगता है जब पिंटू नहीं मिलता है तो चिंटू अपनी माँ को बताता है ,माँ जाकर विवेक को बताती है विवेक उसे ढूढ़ने निकलता है लेकिन पिंटू नहीं मिलता है।
गुस्से में आकर वो चिंटू का मरता है और कहता है तुम्हारी वज़ह से ही पिंटू कही चला गया होगा तम ने ही उसे कुछ कहा होगा ,चिंटू रोते हुए जाता है और लैपटॉप ओपन करता है ,चुड़ैल चिंटू को भी लैपटॉप मर खींच लेती है ,जब सुबह विवेक की पत्नी उठती है तो देखती है की चिंटू भी अपने कमरे में नहीं है ,
ये देख वो परेशान हो जाती है और विवेक को बताती है और विवेक से बोलती है तम्हारी वजह से चिंटू भी चला गया विवेक चिंटू को ढूंढ़ने निकलता है लेकिन चिंटू नहीं मिलता है ,वो मायूस हो कर घर आता है ,
और लैपटॉप देख कर गुसा हो जाता हैं।
और कहता है ये लैपटॉप ही मनहूस है मेरे दोनों बचे इसी की वज़ह से गायब है और लैपटॉप को फेकने के कोसिस करता है तभी चुड़ैल वहाँ आ जाती है। और बोलती है विवेक ये सब तेरी लालच की वजह से हुआ है। न तू ये लैपटॉप उठाता न ये सब होता।
विवेक की पत्नी बोलती है क्या आप ने ये लैपटॉप सरक से उठाया है और चुड़ैल से कहती है ले चलो मुझे अपने बच्चो के पास मुझे ऐसे आदमी के साथ नहीं रहना जो मुझसे सच नहीं बोलता हो ,विवेक बोलता है मैंने तम लोगो के लिए ही तो किया है ,
चुड़ैल बोलती है सांत हो जाओ तुम दोनों और विवेक और उसकी पत्नी को लेकर लैपटॉप में घुस जाती है ,और बोलती है आज अमावस की रात है अगर आज मैं तेरे दोनों बेटे की बलि दू तो मुझे मेरे बेटे को ढूढ़ने का रास्ता मिल जाएगा।
ये सुनकर विवेक की पत्नी बोलती है आप चाहो तो मेरे छोटे बेटे और मेरी जान लेलो लेकिन मेरे बड़े बेटे को छोर दो वो किसी और की अमानत है ,मुझे वो एक हादसे में मिला था उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी इस लिए मैंने इसे अपने पास रख लिया था ,
चुड़ैल ने पिंटू को अपने पास बुलाया और हाथ आगे करने को कहा चुड़ैल ने देखा की उसके हाथ पे वही नीसाण थे जो उसके बेटे के हाथ में था ,ये देख कर चुड़ैल ने पिंटू को गले लगाया , पिंटू ने कहाँ आप माँ नहीं हो सकती हो क्युकी आप लोगो का खून पीती हो ,
चुड़ैल विवेक की पत्नी को बोलती है आज से चिंटू आप की जिमेदारी इसका ख्याल रखना और लोगो को चोर देती है
शरारती बन्दर
एक गांव में बरगद का पेड़ था ,उस पेड़ पे बहुत सारे बन्दर रहते थे। वो सारे बन्दर बहुत ही शरारती थे ,गांव के लोग बंदरों से बहुत से परेशान थे एक बार की बात है गांव में सूखा पर गया। तब गांव वालो ने मंदिर बनाने का सोचा और सभी मंदिर बनाने के काम में लग गए। सभी काम करते-करते थक गए और नास्ता करने चले गए तभी बन्दर अपने मित्रो के साथ वहाँ से गुज़र रहा था ,बन्दर ने बहुत सारि लकड़ी देखा उसे समझ नहीं आ रहा था ,की वो क्या है ? और वो लकड़ियों से खेलने लगा तभी लकड़ी उसके पैर पर गिर गया। और बन्दर को काफी चोट लग गयी।
Moral of the Story: बिना कुछ जाने बिच में टांग नहीं अराना चाहिए।
सच्ची लगन
दो मित्र थे सोनू और मोनू दोनों ही बेरोज़गार थे ,उन्होंने सोचा क्यों नहीं मास्टर जी से मदद मांगी जाए ,वो दोनों मास्टर जी के पास गए और कहा मास्टर जी हमें कुछ रुपयों की ज़रूरत है। हमलोग अपना व्यापार सुरु करना चाहते है।मास्टर जी ने दोनों को 1000 - 1000 रूपये दिए और कहा की तुम्हे 1 साल में ये रूपये लौटाने होंगे दोनों पैसे लेके वहाँ ने निकल परे सोनू ने कहा हमें इन पैसों व्यापार करना चाहिए मोनू बोलता नहीं इनसे मैं घूमूँगा दोनों अलग-अलग रस्ते पे निकल जाते है।
एक साल बाद दोनों मास्टर जी के पास जाते है मास्टर जी पहले मोनू से पूछते है रूपये का तुमने क्या किया मोनू बोलता है मास्टर जी रूपये मुझसे किसी ने छीन लिए इसके बाद मास्टर जी मोनू से पूछते है तुम भी रूपये नहीं लाये हो सोनू ?
सोनू बोलता है नहीं मास्टर जी और 2000 रूपये निकाल के देता है। मास्टर जी बोलते है तुमने क्या किया ,सोनू बोलता मैं रस्ते से जा रहा था वहा एक किसान को बहुत ही परेशान देखा उसके पस फल थे लेकिन वो उन्हें बेच नहीं प् रहा था ,
मैंने उसके फल ख़रीदे और शहर जाके बेच दिया वो किसान मुझे रोज फल दिया करता था और मैं उसे शहर में बेच दिया करता था ऐसे ही मैंने शहर में एक दुकान लेली और फल का कारोबार सुरु कर दिया ,मास्टर जी सोनू से बहुत प्रश्न हुए।
और मोनू से कहा अगर तुम भी समझ से काम लेते तो क़ामयाबी ज़रूर मिलती
Moral of the story is: परिश्रम का फल आवस्य मिलता है।
सच्ची दोस्ती
दो दोस्त थे ,एक इंसान और दूसरा शेर तो जानते है की इनकी दोस्ती कैसे हुई। कुछ समय पहले की बात है ,एक शेर जंगल घूम रहा था , अच्चानक उसका पैर कांटे पे पर गया और वो जोर-जोर से चीखने लगा। वहां से इंसान गुज़र रहा था तभी उसने शेर की चीखने की आवाज़ सुनी।
उस आदमी ने सोचा लगता हैं कोई जानवर बहुत पीरा में है ,वो आवाज़ के सहारे उस जानवर तक पहुँचता है ,तो देखता है की वो एक शेर है ,वो आदमी थोड़ा डर जाता है ,और वहां से जाने की कोसिस करता है लेकिन उसे शेर पे दया आ जाती है।
और चुपके से जाकर शेर का कांटा निकाल देता है ,शेर उसे कुछ नहीं करता है ,उसे चाट लेता है और वहां से चला जाता है ,कुछ दिन बाद जंगल पे शिकारी हमला कर देता है शेर को पकड़ लेता है ,और पिंजरे में बंद कर देता है ,
उन शिकारियों को शेर और इंसान के बिच की लड़ाई देखनी थी ,उनका एक साथी गांव जाता है और एक आदमी को पाकर लाता है ,और पिंजरे में फेंक देता है , लेकिन शेर उसपे हमला नहीं करता है और उसे चाट लेता है ,क्युकी ये वही आदमी थी जिसने उसके पैर से कांटा निकला था
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