मुर्ख ब्राह्मण ki purani hindi kahaniya with moral
एक गांव में अभिषेक नाम का एक गरीब ब्राह्मण रहता था। अभिषेक माँ दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार उसने अपने गुरु अनुसार माँ दुर्गा की तपस्या करने का निर्णय लिया वो एक घने जंगल में चला गया और एक बड़े से पेड़ के निचे एक पैर पर खरे होके तपस्या करने लगा
बहुत दिन बीत गए उसकी भगति देख माँ दुर्गा उससे खुश हो गयी और उसके सामने प्रकट हुई और बोलती है वत्स आँखे खोलो मैं तुमपे प्रशन्न हुई हूँ। बोलो तुम्हे क्या चाहिए अभिषेक बोलता है माते आपके दर्शन से ही धन्य हुआ और क्या मांगू।
माँ दुर्गा बोलती है मैं तुम्हे एक वरदान दे रही हूँ जो चाहिए वो मांग लो अभिषेक बोलता है माते मुझे संजीवनी बूटी का वरदान दो मुझे संजीवनी बूटी देदो अभिषेक को संजीवनी बूटी देते हुए माँ दुर्गा ने कहा वत्स ये बूटी लो इस बूटी का इस्तेमाल तुम जिस भी व्यक्ति पर करगे वो फिर से जीवित हो जाएगा।
जिस भी व्यक्ति पर तुम इसका रस डालोगे वो फिर जीवितहो जाएगा और पहले जैसा ताकत वर नहीं हो जाएगा , ये संजीवनी न कभी सूखेगी और न ही कभी ख़तम होगी इतना कहते ही माँ दुर्गा चली गयी ,संजीवनी पाकर अभिषेक आनंदित हो उठा और अपने गांव की ओर निकल परा।
रास्ते में वो सोचने लगा इस संजीवनी से मैं मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकूंगा और अब इसके बाद किसी भी घर में दुःख नहीं होगा गांव के सभी लोग मेरी प्रशंसा करेंगे और हो सकता है। सबलोग मुझे गांव का सरपंच ही बना दे चलते-चलते उसके मन में एक अलग ही विचार आया क्या कही माँ दुर्गा ने मेरे साथ कोई मज़ाक तो नहीं किया
ये कोई साधारण पत्ते तो नहीं या सच में संजीवनी बूटी है की नहीं ये जानने के लिए मुझे कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा , अभिषेक इधर-उधर देखने लगा इतने में उसे एक मृत शेर दिखा अभिषेक उस मृत शेर के पास गया और सोचने लगा क्यों न इस संजीवनी का इस्तेमाल इस शेर पर किया जाए।
फिर पता चलेगा ये असली है या नकली , अभिषेक ने उस संजीवनी बूटी को हाथो से मसलना सुरु किया उसने बिना कुछ सोचे-समझे उस रस को मृत शेर के ऊपर रख दिया और शेर फिरसे जीवित हो गया। अभिषेक तो बहुत खुश हुआ और बोला अरे वाह ये तो सच में संजीवनी बूटी है। वो शेर बहुत बूढ़ा था शिकार न मिलने के कारन
भूक से मर गया था संजीवनी के कारन वो न केवल जीवित हुआ बल्कि पहले से ज़्यादा शक्तिशाली भी हो गया जीवित होते ही उस शेर ने जोर से दहाड़ मारी अभिषेक बहुत डर गया और बोला हे भगवान मैंने ये क्या किया शेर को जीवित कर दिया अब मेरी खैर नहीं सामने भूखा शेर देख कर अभिषेक की हालत ख़राब हो गयी वो डर कर इधर-उधर भागने लगा
लेकिन शेर के ताकत सामने वो टिक न सका शेर ने उसे पकड़ा और खा गया।
Moral of the story: इसी लिए कोई भी काम करने से पहले उसके परिणामो के बारे में सोचना आवश्यक है।
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