बड़ी सिख -Purani hindi kahani with moral
बहोत पुरानी बात है एक आश्रम था जिसमे बहुत सारे बच्चे दूर-दूर से शिक्षा ग्रहण करने आते थे उन्ही में से थे मोहन और कमल उन दोनों शिक्षा पूरी हो चुकी थी ,आश्रम के नियम के अनुसार उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद घर जाना था। लेकिन जब मोहन और कमल घर जाने लगे तो गुरु जी ने उन्हें अपने पास बुलाया और कहा बच्चो आज तुम अपनी शिक्षा पूर्ण करके अपने-अपने घर जा रहे हो।
लेकिन तुम्हे घर जाने से पहले एक और परीक्षा देनी होंगी इस परीक्षा अगर तुम सफल हुए तो तुम्हे घर जाने दिया जाएगा लेकिन अगर तुम विफ़ल हुए तो तुम्हे यही रुकना पड़ेगा ,तभी मोहन गुरु जी से पूछता है। गुरु जी आप परीक्षा के बाड़े में बात कर रहे है ,हमने तो अपनी शिक्षा पूरी कर्ली है और आज तो हमें घर भी जाना है फिर आप कौन सी परीक्षा की बात कर रहे है।
गुरु जी हस्ते हुए बोलते है मेरा एक छोटा सा काम करोगे अगर तुम दोनों उसमे सफल हुए तो तुम अपने घर जा सकते हो, कमल बोलता है गुरु जी क्या काम है आप बताये हम आवस्य ही परीक्षा देंगे गुरु जी ने उन्दोनो को बड़े ही ध्यान से देखा फिर मुस्कुराये और कहा बच्चो तुम दोनों को मैं कबूतर देता हूँ और तुम्हे इसे मारना है।
तुम इन्हे ऐसे जगह मारना जहा तुम्हे कोई देख न रहा हो मोहन और कमल दोनों ही उन कबूतरों को लेकर चले जाते है मोहन अपने कबूतर को लेकर एक सुनसान गुफ़ा में जाता है और वहाँ जाकर देखा है ,और बोलता है अरे इस गुफा में तो नहीं है मैं अगर इसे मार भी दू तो किसी क्या पता चलेगा कहकर वो गुफा में कबूतर की गर्दन मोर कर उसे मार देता है और फ़ौरन गुरु ज़ि के पास आश्रम में जाता है।
और कहता मैंने उस कबूतर को मर दिया है अब तो मैं घर जा सकता हूँ इस परीक्षा सफ़ल हो गया हूँ। गुरु जी उस मरे हुए कबूतर हाथ में लेकर थोड़े परेशान हो जाते है और मोहन को कहते है देखो मोहन मैंने तुम्हे और कमल दोनों को ये काम दिया था लेकिन मुझे अभी भी लगता है तुम इस परीक्षा के परिणाम के लिए कमल के आने का इंतज़ार करो मैं तभी अपना फैसला सुना पयूंगा।
साम हो गयी थी अँधेरा भी घिर गया था लेकिन कमल अभी तक नहीं आया और गुरु जी को चिंता होने लगी थी तभी उन्हें दूर से कमल आता हुआ दिखाई देता है ,गुरु जी बोलते है देखो वो आ रहा है उसके आने के बाद तुम दोनों के परीक्षा के परिणाम की घोसणा हो जायेगी , कमल बोलता है प्रणाम गुरु जी।
गुरु जी बोलते है कमल तुम इतनी देर से कैसे आये और तुम्हारे हाथ में ये
कबूतर ज़िंदा कैसे है , कमल बोलता है ,गुरु ये बहुत लम्बी कहानी है आप बस ये समझ लीजये मैं इस परीक्षा में सफ़ल नहीं हुआ हूँ मुझे छमा करे मैं इस कबूतर को नहीं मार पाउँगा और इस कारन मैं अपने घर भी नहीं जा सकता ,ये सुनकर गुरु जी उससे कहते है रुको कमल तुम तक हमें पूरी बात नहीं बताओगे हम तुम्हे आश्रम में प्रवेश नहीं करने देंगे ,
बताओ क्या हुआ था तुम्हारे साथ , कमल बोलता है गुरु जी की आपने कहा था इस कबूतर को वही ले जा कर मारना है जहा पर नहीं देख रहा होगा और मैंने वही किया मैं इसे मार ने के लिए जंगल में ले गया लेकिन वहाँ पर मौजूद सारे जानवर मुझे देख रहे थे फिर मैं इसे जंगल के अंदर ले गया वहाँ पर जानवर मौजूद नहीं थे लेकिन सारे पेड़ पौधे देख रहे थे।
इसके बाद मैं इसे समुन्द्र ले गया तो वहा पर सारि मछलियाँ और समुन्द्र देख रहा था , जब मैं इसे मारने पहाड़ पर ले गया तब वहा पर सन्नाटा देख रहा था इसके बाद मैं एक गुफ़ा के अंदर ले गया वहां पर मुझे अँधेरा देख रहा था और इनसे सबसे बड़ी बात मैं इसे मारते हुए खुद देख रहा था गुरु जी सुनकर मुस्कुराये और उससे कहाँ कमल तुमने तो सबसे बड़ी शिक्षा ग्रहण हैं।
जो मैं तुम्हे समझाना चाहता था वो तुम समझ गए ,तुमने इस कबूतर को इस लिए नहीं मारा की तुम्हे सब लोग देख रहे थे एकांत में हमारा भय है जो हमें गलत काम करने से रोकता है अगर हम सब कुछ भी गलत करने से पहले ये सोच ले की हमें कोई न कोई देख रहा है तो हम गलत काम नहीं करेंगे बस यही मैं तुम्हे समझाना चाहता था और तुम बहुत अच्छे से समझ गए उसके बाद गुरु ने उस कबूतर को भी अपनी शक्तियो से जीवित कर दिया, गुरु जी सुनकर मोहन को अंदाज़ा हो गया की उसे अभी और शिक्षा ग्रहण करनी है इस लिए वो चुप-चाप आश्रम चला गया, वही कमल वापस अपने घर चला गया
Moral of story:हमें कुछ भी बुरा करने से पहले दस बार सोचना चाहिए।
Comments
Post a Comment